Sunday 24 August 2014

आंगनबाड़ी सेविका पद की उम्मीदवार ने लगाए ओबरा की सीडीपीओ पर सनसनीखेज आरोप

ब्रजकिशोर सिंह। वैसे तो बिहार में आंगनबाड़ी परियोजना शत-प्रतिशत फेल है। शायद ही बिहार की किसी आंगनबाड़ी में वह सब काम किया जाता हो जिनके लिए उनका गठन हुआ है लेकिन भ्रष्टाचार सिर्फ संचालन तक सीमित हो तब तो फिर भी गनीमत है। हकीकत तो यह है इस विभाग में भ्रष्टाचार की शुरुआत तभी हो जाती है जब कोई आंगनबाड़ी सेविका के पद के लिए आवेदन देता है। पूरे भारत से इस पद के लिए बहाली में विधवाओं और तलाकशुदाओं के लिए दी गई छूट के दुरुपयोग की शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। ऐसे ही एक मामले में भ्रष्टाचार का एक सनसनीखेज आरोप लगाया है बिहार के औरंगाबाद जिले के ओबरा प्रखंड के गैनी गांव की अनु कुमारी ने। उनका कहना है ग्राम पंचायत गैनी में आँगनबाड़ी सेविका के पद पर चयन हेतु उनका मेधा अंक 84 है। उनकी शैक्षणिक योग्यता स्नातक है तथा वे मैट्रिक से लेकर स्नातक तक प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हैं। नियमावली के अनुसार इस पद हेतु तैयार मेधा सूची में उनका क्रमांक सर्वोच्च होना चाहिए। पर एक दूसरी आवेदिका संगीता कुमारी जिसके द्वारा मध्यमा का फर्जी अंक पत्र जमा करने के बावजूद मेधा अंक उनसे 2 अंक कम 82 है को तैयार मेधा सूची में क्रमांक 1 पर रख दिया गया है। अनु कुमारी का आरोप है कि इस पद पर बहाली हेतु CDPO ओबरा ने उनसे दो लाख पचास हजार रूपए की माँग की थी, जिसे उन्होंने स्पष्टतः ठुकरा दिया था तथा उनसे कहा था कि मेधा सूची के अनुसार तो वे स्वतः सर्वोच्च रहनेवाली हैं। बाद में CDPO ओबरा प्रखंड ने एक मुखिया के माध्यम से दूसरी आवेदिका से संपर्क साधा और पैसे लेकर उसके चयन हेतु जुगाड़ लगाया। नियमावली के अनुसार विधवा या परित्यक्ता के मेधा अंक में 7 अतिरिक्त अंक जोड़े जाने हैं। CDPO ने आवेदिका संगीता कुमारी को अपने पति के साथ विवाह-विच्छेद (Divorce) का शपथ-पत्र लगाने की सलाह दी और उस आधार पर उनका मेधा अंक 82+7=89 कर मेधा सूची में सर्वोच्च स्थान दे दिया। विदित हो कि आवेदिका संगीता कुमारी के पति गोह प्रखंड में पंचायत शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं और नियमावली के अनुसार जिले मे कार्यरत किसी भी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी की पत्नी का चयन तो दूर इस पद हेतु वह आवेदन भी नहीं दे सकती। इस बंदिश से बचने के लिए तथा परित्यक्ता या विधवा का लाभ प्राप्त करने के लिए ही संगीता कुमारी के द्वारा CDPO ओबरा को पैसे देकर अवैध एवं फर्जी परित्यक्ता प्रमाण पत्र तथा फर्जी अंक-पत्र लगाया गया है। विदित हो कि शपथ-पत्र के आधार पर विवाह-विच्छेद का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 के अनुसार न्यायिक पृथक्करण, विवाह-संबंध-विच्छेद तथा विवाहशून्यता हेतु सक्षम न्यायालय के द्वारा डिक्री की घोषणा की व्यवस्था की गई है न कि शपथ-पत्र के द्वारा। इस संबंध में भ्रष्टाचार की ताजा शिकार अनु कुमारी ने दाउदनगर के अनुमंडलाधिकारी को आवेदन देकर न्याय के लिए गुहार लगाई है।

1 comment:

  1. इस मामले की जाँच जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (ICDS) तथा प्रभारी पदाधिकारी, जिला गोपनीय शाखा, औरंगाबाद के द्वारा संयुक्त रूप से किया गया, जिसमें इस शिकायत को सही ठहराते हुए-
    1. सेविका संगीता कुमारी के चयन को तत्काल निरस्त करने,
    2. गैनी पंचायत मुखिया श्रीमती मालती देवी द्वारा अपने पद का दुरूपयोग कर गलत लाभार्थी के चयन में सहभागी बनने एवं आपराधिक षड्यंत्र में संलिप्त रहने के प्रामाणिक साक्ष्य के आरोप में बिहार पंचायती राज अधिनियम 2005 की धारा 39(A) के तहत पदच्युत करने,
    3. बाल विकास परियोजना पदाधिकारी ओबरा श्रीमती अनुपम बाला की इस मामले में संदिग्ध भूमिका पर स्पष्टीकरण प्राप्त कर अग्रेतर दंडात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की गई है.
    आप चाहें तो स्वयं भी इस लिंक पर जाकर जाँच-प्रतिवेदन का अवलोकन कर सकते हैं-
    https://drive.google.com/file/d/0B_tXjpS5KIpyUndYZHRCeElPZzQ/view?usp=sharing

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