16 January
दाउदनगर (औरंगाबाद)
नब्बे के दशक में दाउदनगर श्वेत क्रांति के संदर्भ में जिले का सुन्दर चेहरा था। घर घर में पशुपालकों द्वारा दुध खरीदी जाती थी और यहां मिल्क चिलिंग व क्लेक्शन प्लांट में ठंडा कर बाजारों को उपलब्ध कराया जाता था तब दुध की कमी नजर नहीं आती थी। आज स्थिति उलट है। दाउदनगर मिल्क यूनियन लिमिटेड का उद्घाटन तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री (अब स्वर्गीय) दिलकेश्वर राम ने किया था। इसी दिन भंडार गृह का उद्घाटन तत्कालीन पशुपालन राज्य मंत्री मदन प्रसाद ने किया था। समय के साथ मुश्किलें बढ़ती गई और 2002 में दामुल बंद हो गया तब से इसके पुनर्जीवन की कोशिशें असफल होती रही है। कई बार जिला प्रशासन द्वारा पैसा भी दिया गया लेकिन सफलता नहीं मिली। कम्फेड द्वारा 83 लाख 376 हजार जुलाई 2009 में दिया गया। जिला प्रशासन द्वारा यह राशि बिहार स्टेट को-आपेरिटव मिल्क फेडरेशन लिमिटेड के अधिकारियों को 24 जुलाई को दे दिया गया लेकिन आज तक यहां कोई प्रगति नजर नहीं आती। लगभग 15 लाख रुपए की लागत से सड़क और चहारदीवारी का निर्माण जारी है। अभिकर्ता बबलू शर्मा के अनुसार इसी माह में इसके पूर्ण होने की संभावना है। यहां पांच हजार लीटर प्रतिदिन दुध शीतल करने की क्षमता का उपकरण लगाया जाना है। दुग्ध उत्पादक सहयोग समिति का गठन होगा जिनसे दुध एकत्र कर यहां ठंडा किया जाएगा और उसका वितरण बाजारों में होगा। सूत्रों के अनुसार दामुल के पुराने भवन जर्जर हैं जिसे ध्वस्त कर नया भवन बनाया जाना है। इसके लिए टेडर होना बाकी है। सबकों इंतजार है कि दामुल की रौनक लौटे और पशुपालकों को आर्थिक उन्नति हो।
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