दाउदनगर (औरंगाबाद)।
अल्लामा इकबाल ने कहा था, खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है। दाउदनगर के भखरुआं मोड़ का मूक-बधिर ओम प्रकाश तिवारी इसको ही चरितार्थ कर जज्बों का पहाड़ ढो रहा है। अभी 8 से 14 जनवरी तक आंध्र प्रदेश के अनंतपुर में आयोजित नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में देश के केन्द्र शासित सहित 32 राज्यों के शारीरिक विकलांगता के शिकार हजारों बच्चे जब शामिल हुए तो चार सौ मीटर तथा चार गुणे सौ मीटर रिले दौड़ में प्रथम स्थान लाकर उसने स्वर्ण पदक जीता। इस दूरी को तय करने में उसे क्रमश: 01.12 तथा 01.04.55 मिनट लगे। उसके प्रशिक्षक सह स्पेशल ओलपिंक एवं पैरा ओलपिंक के राज्य महासचिव डा. शिवाजी कुमार ने बताया कि शारीरिक रूप से विकलांग बच्चों की श्रेणी में उसका रिकार्ड बना। चार किलो वजन का गोला 6.91 मीटर दूर फेंकने में उसे देश में तीसरा स्थान मिला। राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2007-2008 में उसे खेल सम्मान से नवाजा गया। उसके प्रशिक्षक के अनुसार तिवारी छह सात वर्ष की उम्र से ही उनके सान्निध्य में पटना स्थित आशा दीप स्कूल में पढ़ते हुए प्रशिक्षण प्राप्त किया। वे बताते है कि इसमें खेल के प्रति काफी दीवानगी है। उसे खेलने में चाहे जितना कष्ट हो वह तैयार रहता है। अभी तक वह देश के अधिकांश राज्यों की यात्रा खेलने के क्रम कर चुका है। उसके पिता उपेन्द्र तिवारी ने बताया कि दर्जनों बार सम्मानित होने के बावजूद उसे कोई लाभ नहीं मिला। सिर्फ खेल सम्मान के वक्त ही कुछ रुपए राज्य सरकार द्वारा दिया गया। प्रशिक्षक कहते है कि सरकार मेडल मिलने पर नौकरी की बात करती है। देखते है कि ओम प्रकाश के मामले में क्या होता है। उनकी इच्छा है कि गणतंत्र दिवस के अवसर पर जिला प्रशासन उसे सम्मानित करे और स्पोर्ट्स किट देकर प्रोत्साहित करे। 2008 में इदाहो ओलपिंक के लिए जब उसका चयन हुआ था तो पासपोर्ट न बनने के कारण वह नहीं जा सका था। बाद में तत्कालीन एसपी गणेश कुमार ने 24 घंटे के अंदर पासपोर्ट दिलाने की पहल की। फिलहाल उसका पासपोर्ट युवा खेल एवं संस्कृति विभाग के पास सुरक्षित है। प्रशिक्षक के अनुसार एथेंस में 2011 में आयोजित होने वाले ओलपिंक में वह गोल्ड मेडल ला सकता है अगर उसे नियमित प्रशिक्षण मिले। प्रशिक्षक का मानना है कि सामान्य लोगों के वर्ग में भी इसे दौड़ाया जाए तो मेडल जरूर हासिल कर लेगा। खुदा करे वह दिन जल्दी आए और देहात का एक लड़का मूक बधिर होते हुए भी देश को स्वर्ण पदक दिला सके। जिले में मुख्यमंत्री आ रहे है। इससे आम लोगों की अपेक्षा और बढ़ गई है।
bhai ada ji ke profile se aapke yahaan pahuncha.
ReplyDeletebahut hi achcha kaam kar rahe hain aap.
chakit kiya aapne nisandeh!!
aapne kis tarah ministers ki id fid ki hai, kya ye gur mujhe bataayenge.
darasal apne teen blog k atirikt ek blog main ne sherghati par shuru kiya hai, aur uddeshy aapke saman hi hai.
apekshit sahyog milega, vishvast hun.
shahroz_wr@yahoo.com