Saturday, 16 July 2011

थेथर से सोन कैनाल बना नाला

पूर्वी सोन उच्च स्तरीय कैनाल का अस्तित्व खतरे में है। नहर में थेथर (बलकरनी) एवं झाड़ी फैलता जा रहा है। सफाई नहीं होने से नहर नाला का रूप लेता जा रहा है। सिंचाई विभाग के अभियंताओं की लापरवाही से झाड़ी की सफाई नहीं हो रही है जिस कारण नीचले स्तर तक पानी नहीं पहुंच रहा है। थेथर के पौधे नहर के दोनों किनारे इस कदर उग आए हैं कि पानी के बहाव प्रभावित हो रहा है। नहरों के रख रखाव पर सिंचाई विभाग प्रत्येक वर्ष लाखों रुपए खर्च करती है परंतु सोन कैनाल के देखने से विभाग के कार्य की पोल खुल जाती है। स्थानीय सांसद सुशील कुमार सिंह ने नहर का निरीक्षण करने के बाद बताया कि विभागीय अभियंताओं की लापरवाही से नहर का अस्तित्व समाप्त होते जा रहा है। मुख्य अभियंता औरंगाबाद एवं गया के चार्ज में हैं जिस कारण यहां नहरों का निरीक्षण नहीं करते हैं। नहर में झाड़ी उगने से कई जगहों पर किनारा क्षतिग्रस्त हो गया है। टेकारी एवं कोच तक पानी नहीं पहुंचती है। वहां के किसान औरंगाबाद में पानी रोकने की बात कहते हैं परंतु नहर में थेथर पानी में रुकावट बनी है। नहर सूखा रहने पर अभियंता इसे सफाई नहीं कराते हैं और पानी पड़ते ही झाड़ी नहर को संकीर्ण कर देता है। सांसद ने कहा कि इसे साफ कराने के लिए सरकार को पत्र लिखा गया है और यहां कई मुख्य नहर प्रणाली है जिस कारण स्थायी मुख्य अभियंता की पदस्थापना की मांग की गई है। पूछे जाने पर मुख्य अभियंता कमलाकांत ने कहा कि सरकार सफाई कराने के लिए पैसा नहीं दे रही है जिस कारण कैनाल की सफाई नहीं कराई गई है। सफाई कराने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है।

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