Dec 05, 07:30 pm
औरंगाबाद 20 लाख की आबादी इलाज को तरस रहे हैं। अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी से सभी परेशान है। अधिकांश अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में प्राथमिक उपचार भी उपलब्ध नहीं है। स्वास्थ्य उपकेन्द्र तो लगभग बंद हो गए है। सदर अस्पताल में महिला चिकित्सक न होने से आधी आबादी इलाज को तड़प रही है। सिविल सर्जन डा. एसके अमन के अनुसार जिले में चिकित्सकों के 177 पद स्वीकृत है परंतु कार्यरत चिकित्सकों की संख्या सिर्फ 55 है। पदस्थापित चिकित्सकों में से छह चिकित्सक ऊपर के आदेश से दूसरे जिले में कार्यरत है। बीमारी का सहारा लेकर कई चिकित्सक कार्य नहीं कर रहे है। सिविल सर्जन के अनुसार वर्ष 2008 से सदर अस्पताल में पदस्थापित डा. मीत कुमार एवं डा. सचिन कुमार फरार है। दोनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए विभाग को लिखा गया है। सीएस ने बताया कि सचिवालय के आदेश पर डा. धर्मेन्द्र कुमार पटना उच्च न्यायालय, क्षेत्रीय निदेशक के आदेश पर नवीनगर में पदस्थापित डा. अशोक कुमार जहानाबाद, औरंगाबाद पीएचसी में पदस्थापित डा. विनोद कुमार महाजन आरडीडी कार्यालय गया में कार्यरत है। उन्होंने बताया कि सदर अस्पताल में पदस्थापित डा. नवीन चन्द्र सिन्हा की दिमागी हालत ठीक नहीं है जिस कारण वे अस्पताल नहीं आते है। इसी तरह डा. निर्मला बीमारी का बहाना बना अस्पताल नहीं जा रही है। ओबरा, दाउदनगर, रफीगंज, मदनपुर, गोह, देव, हसपुरा प्रखंड के अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर एक भी चिकित्सक कार्यरत नहीं है। इन अस्पतालों में ग्रामीणों का प्राथमिक इलाज भी नहीं होता है। कई अस्पताल ऐसे भी है जहां चिकित्सक पदस्थापित है परंतु वे अस्पताल नहीं आते है। संविदा पर बहाल चिकित्सकों के भरोसे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में मरीजों का इलाज हो रहा है। सदर अस्पताल में कार्यरत महिला चिकित्सक डा. नीलम चौधरी एवं डा. मणि कुमारी ने इस्तीफा दे दिया है। संविदा पर बहाल रफीगंज में पदस्थापित डा. सबीरुल इस्लाम एवं देव के पवई में पदस्थापित डा. संतोष कुमार मिश्रा ने भी इस्तीफा दिया है। सिविल सर्जन के अनुसार ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने की नियत से कांट्रेक्ट पर कुल 32 चिकित्सकों की बहाली की गई है।
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