Sunday, 25 April 2010

बुनियादी विद्यालय में टूट गया गांधी का सपना

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सपना था कि सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का उत्थान हो और विद्यालयों में सूत की कटाई, कपड़ा बुनाई के साथ शिक्षा की व्यवस्था हो ताकि बच्चे स्वावलंबी बने। गांधी के इस सपना को साकार करने के लिए सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी विद्यालयों की स्थापना की थी। जिले में सन् 1949 में देव प्रखंड के एरकी, विशुनपुर, कुटुम्बा के रामपुर परसा, हसपुरा के सिहाड़ी, डिंडिर एवं दाउदनगर प्रखंड के एकौना में बुनियादी विद्यालय खोला गया। बुनियादी विद्यालयों की स्थिति बद से बदतर होती चली गई। आज स्थिति यह है कि कहीं शिक्षक नहीं हैं तो कहीं भवन का अभाव। विद्यालयों की स्थिति दयनीय होने से विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों का भविष्य गर्त में है। अधिकारियों के अनुसार सीनियर बेसिक स्कूल एरकी में 12 शिक्षकों के पद स्वीकृत है पर मात्र 4 शिक्षक कार्यरत हैं। इससे दयनीय स्थिति अन्य विद्यालयों की है। विशुनपुर, एकौना एवं डिंडिर विद्यालय में 11 शिक्षक की जगह मात्र 1 शिक्षक स्कूल को चला रहे है। रामपुर परसा में 11 की जगह 4 एवं सिहाड़ी विद्यालय में 11 की जगह 3 शिक्षक कार्यरत है। शिक्षकों के आंकड़ों को देखकर यह सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि वर्ग 1 से 8 तक की पढ़ाई होने वाले इन विद्यालयों में शिक्षा का क्या माहौल होगा। विद्यालयों के भवन ध्वस्त होने लगे है। कहने के लिए तो सरकार शिक्षा उत्थान के लिए पानी की तरह पैसा बहा रही है परंतु इन विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र कैसे शिक्षा ग्रहण करते होंगे यह विद्यालय पहुंचकर देखा जा सकता है। आज विद्यालयों में न तो चरखा चलता है और न हीं सूत की कटाई होती है। विद्यालयों में कृषि कार्य बंद हो गया है। किसी भी विद्यालय में कृषि शिक्षक कार्यरत नहीं है। विद्यालयों को देखने से यह पता चलता है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सपना टूट गया है। बुनियादी विद्यालयों के अलावा प्राथमिक व मध्य विद्यालयों की स्थिति भी दयनीय है। जिले में 335 विद्यालयों के भूमि की व्यवस्था नहीं होने से भवन नहीं बना है। 20407 बच्चे किसी भी विद्यालय में नहीं पढ़ते है। सर्व शिक्षा अभियान का आंकड़ा बताता है कि जिले में कुल 1252 प्राथमिक व 833 मध्य विद्यालय है। 5 मदरसा, 5 संस्कृत विद्यालय व 4 चरवाहा विद्यालय है। 81 उर्दू प्राथमिक विद्यालय, 9 उर्दू मध्य विद्यालय के अलावा 79 बालक उच्च विद्यालय एवं 9 बालिका उच्च विद्यालय है। जिले में 4 प्रोजेक्ट उच्च विद्यालय चल रहा है। 4 अंगीभूत मध्य विद्यालय, 14 कन्या मध्य विद्यालय एवं 31 कन्या प्राथमिक विद्यालय है। 170 नए प्राथमिक विद्यालय एवं 145 प्राथमिक विद्यालय को मध्य विद्यालय में उत्क्रमण की स्वीकृति मिली है। 5545 विद्यालयों में अतिरिक्त वर्ग कमरे की आवश्यकता है। मध्य विद्यालयों में 1168 विषयवार स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों की आवश्यकता है। 584 मध्य विद्यालय में प्रधानाध्यापक नहीं हैं। 170 नए स्वीकृत प्राथमिक विद्यालयों को नहीं खोला गया है वही 145 प्राथमिक विद्यालयों का मध्य विद्यालय में उत्क्रमण नहीं किया गया है। सर्व शिक्षा अभियान के अनुसार जिले की साक्षरता दर 2001 के अनुसार 57.5 प्रतिशत है। पुरुष की 71.99 व महिला की 42.04 है। सर्व शिक्षा अभियान का उद्देश्य है कि सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराना, बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना, प्रत्येक प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 40 बच्चों पर एक शिक्षक की व्यवस्था करना परंतु आंकड़े से यह पता चलता है कि सर्व शिक्षा अभियान का यह उद्देश्य पूरा होता दिखाई नहीं देता है। जिले के उच्च विद्यालयों में भी शिक्षक की कमी से छात्रों को पठन पाठन में परेशानी होती है। हालांकि शिक्षा विभाग के अधिकारी बताते है कि शिक्षा के विकास के लिए कई योजनाएं चलाई गई है। 7172 विकलांग बच्चों का विद्यालय में नामांकन कराया गया है। स्कूल से दूर बच्चों को विद्यालयों में नामांकन कराया जा रहा है।

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