इस ब्लॉग में औरंगाबाद(बिहार) से संबंधित वैसे खबरों को पोस्ट किया जाता है, जिसपर वरीय पदाधिकारियों का ध्यान आकर्षित कराना अत्यावश्यक लगे । इसके सेटिंग में मुख्य सचिव (बिहार), पुलिस महानिदेशक (बिहार), जिला पदाधिकारी (औरंगाबाद), पुलिस अधीक्षक (औरंगाबाद) तथा माननीय मुख्यमंत्री (बिहार) का इमेल आईडी फीड किया हुआ है, जिससे ब्लॉग पोस्ट की एक प्रति स्वतः उनके पास पहुँच जाती है । यह बिल्कुल से अखबारों में छपे मूल समाचार होते हैं और मेरा उद्देश्य इन खबरों को वरीय पदाधिकारियों तक पहुँचाना मात्र है ।
Wednesday, 2 June 2010
अरबों के बजट में करोड़ों की हेराफेरी
औरंगाबाद बिहार शिक्षा परियोजना के 'अरबों' रुपए के बजट में 'करोड़ों' की हेराफेरी हुई है। स्कूल में भवन निर्माण के नाम पर अभियंताओं ने पैसे की लूट की है। वर्ष 2002 से चल रहे इस परियोजना के कार्यो की जांच ईमानदार अधिकारी से करा दी जाए तो कई घोटाले उजागर होंगे। जब से परियोजना की शुरुआत हुई है यह विभाग सवालों के घेरे में रहा है। डीएसई ओंकार प्रसाद सिंह भी स्वीकारते हैं कि परियोजना में लाखों रुपए का घोटाला हुआ है। वे साफ कहते हैं 'जो दोषी होगे उनके खिलाफ जांच कर प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।' डीएसई ने कहा कि अब तक घोटाला की दो प्राथमिकी दर्ज की गई है और कई मामलों की जांच की जा रही है। बताया जाता है कि वित्तीय वर्ष 2009-10 में इस परियोजना के बजट 1 अरब 26 करोड़ रुपए थी। लेखापाल के नहीं होने के कारण पैसा खर्च नहीं हो पा रहा था। पांच माह पहले इस विभाग को लेखापाल मिला और चेक काटने की सिलसिला शुरू हुआ। भवन निर्माण के नाम पर करीब 70 से 80 करोड़ रुपए के चेक काटे गए परंतु यह चेक 90 करोड़ पार कर गया। हुआ यह कि लेखा विभाग से जो चेक 45 हजार रुपए का कटा वह 3 लाख 45 हजार रुपए का हो गया। जो चेक 49 हजार 400 रुपए का कटा वह 6 लाख 49 हजार 400 रुपए का हो गया। इतना ही नहीं 23 हजार का चेक 2 लाख 23 हजार बन गया। सहायक अभियंता धनंजय कुमार ने चेक से रुपए घोटाला का ऐसा खेला कि विभागीय अधिकारी दंग रह गए। अपने अंगुलियों पर सर्व शिक्षा अभियान को नचा रहा धनंजय डीएसई के करीबी थे। डीएसई के विश्वासपात्र रहे धनंजय ने भवन निर्माण के नाम पर लाखों रुपए डकारा है। चर्चा है कि धनंजय के द्वारा जो भी चेक विद्यालय को भेजा गया उसकी रकम बढ़ा दी गई है। कई मामलों की जांच अभी चल रही है। इस विभाग में लूट की छूट रही। लोग कारण डीएसई को मानते हैं। लोगों का कहना है कि अगर डीएसई कार्यालय में नियमित बैठते और फाइलों को देखते तो इतना बड़ा रकम घोटाला नही होता। चर्चा यह भी है कि सहायक अभियंता धनंजय डीएसई के करीबी थे। जो भी मामले डीएसई के पास पहुंचते थे उसकी जांच वे धनंजय को ही देते थे। धनंजय के करीबी होने के सवाल पर डीएसई बोले 'नाई के दुकान पर कोई दाढ़ी बनाने यह सोच थोडे़ ही जाता है कि वह दाढ़ी नहीं गला काटेगा।' डीएसई ने कहा कि धनंजय के खिलाफ अगर हमें सौ प्राथमिकी भी दर्ज करना पड़ेगा तो हम पीछे नही हटेंगे। बहरहाल, सहायक अभियंता धनंजय कुमार, कनिय अभियंता नरेन्द्र कुमार दूबे पर हुई प्राथमिकी से यह साफ हो गया है कि इस विभाग में चेक से रुपए का बड़ा घोटाला हुआ है।
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