इस ब्लॉग में औरंगाबाद(बिहार) से संबंधित वैसे खबरों को पोस्ट किया जाता है, जिसपर वरीय पदाधिकारियों का ध्यान आकर्षित कराना अत्यावश्यक लगे । इसके सेटिंग में मुख्य सचिव (बिहार), पुलिस महानिदेशक (बिहार), जिला पदाधिकारी (औरंगाबाद), पुलिस अधीक्षक (औरंगाबाद) तथा माननीय मुख्यमंत्री (बिहार) का इमेल आईडी फीड किया हुआ है, जिससे ब्लॉग पोस्ट की एक प्रति स्वतः उनके पास पहुँच जाती है । यह बिल्कुल से अखबारों में छपे मूल समाचार होते हैं और मेरा उद्देश्य इन खबरों को वरीय पदाधिकारियों तक पहुँचाना मात्र है ।
Wednesday, 8 December 2010
कन्या उच्च विद्यालय में बैठने की जगह नहीं
दाउदनगर (औरंगाबाद), जागरण प्रतिनिधि : अनुमंडल मुख्यालय के कन्या उच्च विद्यालय में छात्राओं की भीड़ है। नामांकित सभी छात्राएं अगर एक साथ उपस्थित हो जाएं तो विद्यालय में उन्हें बैठने की जगह नहीं मिलेगी। भीड़ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सिर्फ नवम वर्ग में 864 छात्राएं हैं। 12 सेक्शन चलता है। दशम वर्ग में लगभग 700 छात्राएं नामांकित हैं और वे 11 सेक्शन में पढ़ती हैं। 72 छात्राओं का एक सेक्शन है जबकि राष्ट्रीय औसत 60 छात्राओं पर एक शिक्षक का है। इन छात्राओं को पढ़ने के लिए कम से कम 23 कमरे की जरूरत है लेकिन मात्र 14 कमरे उपलब्ध हैं। चार कमरे कार्यालय, साईस लेबोरेट्रिज, शिक्षक सदन एवं स्टोर रूम के लिए इस्तेमाल होते हैं। सोचा जा सकता है कि बच्चे मात्र दस कमरों में 23 सेक्शन की पढ़ाई किस तरह करते होंगे। प्रभारी प्रधानाध्यापक सारंगधर सिंह के अनुसार कुल 18 शिक्षक हैं जिसमें गणित, हिन्दी और अंग्रेजी के एक एक शिक्षक का अभाव है। सन 1968 में यह स्कूल बना था। तब से अभी तक अनुमंडल मुख्यालय या दाउदनगर प्रखंड में दूसरा कोई कन्या उच्च विद्यालय का निर्माण नहीं हुआ है। प्राय: इसीलिए कादरी हाई स्कूल को कन्या उच्च विद्यालय में तब्दील करने की मांग विभिन्न मंचों से उठती रही है। यहां 60 मध्य विद्यालय हैं जहां से पढ़ी छात्राओं को आगे की पढ़ाई के लिए कन्या उच्च विद्यालय में नामांकन कराना पड़ता है। आबादी और मध्य विद्यालयों में नामांकित छात्रों की संख्या के अनुपात में कई कन्या उच्च विद्यालयों की जरूरत बताई जाती है। कन्या उच्च विद्यालय के अभाव में सुदुर देहात की छात्राएं पढ़ने का साहस नहीं कर पाती हैं। यातायात की सुविधा अब भी पर्याप्त नहीं है। साइकिल से दस दस किलोमीटर दूर तक की छात्राएं यहां पढ़ने आ जाती हैं लेकिन वाहन की सुविधा उपलब्ध हो तो कन्या उच्च विद्यालय में नामांकन कराने वाली छात्राओं की संख्या और बढ़ जाएगी। फिलहाल जरूरत यह है कि कई कन्या उच्च विद्यालय खोले जाएं। इस कन्या उच्च विद्यालय में कमरों का निर्माण व्यापक तौर पर किया जाए तथा छात्राओं को लाने पहुंचाने के लिए सवारी बस की सुविधा उपलब्ध हो। इस दिशा में कोई पहल करता है या नहीं यह देखना दिलचस्प होगा।
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