गंभीरता नहीं बरतने के कारण कृषि पर संकट
औरंगाबाद : सरकार चाहती है कि किसानों को कृषि कार्य में सहयोग कर उनके हौसले को बुलंद रखे. उन्हें कृषि कार्य के प्रति उत्साहित करें, लेकिन सरकार के ही तंत्र सरकार की मंशा को किस तरह बाधित कर रहे हैं. इसका ज्वलंत उदाहरण है डीजल अनुदान वितरण योजना.
1.33 लाख वितरित
कृषि विभाग के आंकड़े बोल रहे हैं कि आपदा प्रबंधन विभाग को वर्ष 2010-11 में खरीफ फसल की सिंचाई के लिए इस जिले को छह करोड़, 40 लाख रुपये प्राप्त हुए थे. यह राशि किसानों के बीच प्रति किसान को प्रति हेक्टेयर 200 रुपये के हिसाब से दिया जाना था, लेकिन मात्र 22 हजार, 211 किसानों को ही यह योजना का लाभ मिला.
इनके बीच मात्र एक करोड़, 33 लाख, 26 हजार, 750 रुपये की राशि वितरण की गयी. बाकी पांच करोड़ से भी अधिक की राशि सरकारी फाइलों में ही दब कर रह गयी. इसी तरह वर्ष 2010-11 में ही धान के बिचड़े को सूखने से बचाने के लिए सरकार ने एक करोड़, 70 लाख रुपये आपदा प्रबंधन विभाग, औरंगाबाद को भेजा. इसमें मात्र 932 किसानों को ही इसका लाभ मिल सका. इनके बीच 36 लाख, 13 हजार रुपये वितरण किये गये. बाकी एक करोड़, 34 लाख रुपये वितरण नहीं हो सके.
डीएओ ने कहा
जब इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी शिलाजीत सिंह से पूछा गया तो इन्होंने बेहिचक कहा कि डीजल अनुदान की राशि वितरण करने के लिए सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी को राशि दे दी गयी, लेकिन उनके द्वारा इस योजना को गंभीरता से नहीं लिया गया. इसके कारण इसका लाभ किसान नहीं उठा सके.यह भी उल्लेखनीय है कि इस वर्ष अभी तक सरकार द्वारा डीजल अनुदान की राशि नहीं भेजी गयी है.
क्या है डीजल अनुदान
बताते चले कि डीजल अनुदान राशि वितरण की योजना जो सरकार की है उसके अनुसार खरीफ या रबी फसल के लिए प्रति एकड़ किसानों को तीन किस्तों में 200 -200 रुपये दिया जाना है. इसमें प्रखंड स्तर के पदाधिकारी अपनी पंचायत में मुखिया के द्वारा किसानों के हाथ तक यह राशि पहुंचाते हैं, लेकिन दुर्भाग्य है कि इस जिले के किसी भी प्रखंड में किसानों को समुचित लाभ नहीं दिया जा सका.
सिंचाई का मुख्य स्रोत
इस जिले में सिंचाई का मुख्य स्रोत सोन उच्चस्तरीय नहर , उत्तर कोयल, बटाने, हड़ियाही नहर है. इनमें सोन उच्चस्तरीय नहर को छोड़ कर बाकी सब परियोजनाएं बरसाती नदी बन कर रह गयी है. बारिश होने पर इसका पानी खेतों में पहुंचता है. यह भी उल्लेखनीय है कि वर्तमान में औरंगाबाद जिले की आधी जमीन असिंचित है. इसके सिंचित करने के लिए कोई संसाधन नहीं है.
सात प्रतिशत हुई रोपनी
इस वर्ष धान की रोपनी का जो लक्ष्य कृषि विभाग द्वारा रखा गया है. वह 27,28 जुलाई तक मात्र 11 हजार हेक्टेयर में धान की रोपनी हुई है. जबकि धान रोपनी के लिए लक्ष्य एक लाख, 70 हजार हेक्टेयर में लक्ष्य रखा गया है. जो केवल सात प्रतिशत है. इस वर्ष बारिश का अनुपात 278.4 मिली मीटर रहा. जो काफी कम है.
सूखे की प्रबल आशंका
इस वर्ष बारिश कम होने से एक बार फिर सूखे की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. जिले के आधे से अधिक जमीन पर धान रोपण कार्य होने की संभावनाएं क्षीण होने लगी है. खासकर मदनपुर, रफीगंज, देव, औरंगाबाद, गोह प्रखंड में धान रोपण का कार्य नहीं प्रारंभ हुए है जिससे यहां के किसानों में चिंता बनी हुई है.
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