इस ब्लॉग में औरंगाबाद(बिहार) से संबंधित वैसे खबरों को पोस्ट किया जाता है, जिसपर वरीय पदाधिकारियों का ध्यान आकर्षित कराना अत्यावश्यक लगे । इसके सेटिंग में मुख्य सचिव (बिहार), पुलिस महानिदेशक (बिहार), जिला पदाधिकारी (औरंगाबाद), पुलिस अधीक्षक (औरंगाबाद) तथा माननीय मुख्यमंत्री (बिहार) का इमेल आईडी फीड किया हुआ है, जिससे ब्लॉग पोस्ट की एक प्रति स्वतः उनके पास पहुँच जाती है । यह बिल्कुल से अखबारों में छपे मूल समाचार होते हैं और मेरा उद्देश्य इन खबरों को वरीय पदाधिकारियों तक पहुँचाना मात्र है ।
Saturday, 5 November 2011
औरंगाबाद जिला के गोह प्रखंड में शिक्षक नियोजन में धांधली
वर्ष 2008 में प्रखंड शिक्षक नियोजन में धांधली किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। डड़वां निवासी अभ्यर्थी रामनिवास शर्मा, बक्सर के कंजय कुमार, इब्राहिमपुर के राजेन्द्र यादव, पेमा के रामाशीष सिंह समेत 11 शिक्षक अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री के जनता दरबार में आवेदन देकर जांच की मांग की है। अभ्यर्थियों ने बताया कि 32 विभिन्न कोटि के प्रशिक्षित तथा 6 अप्रशिक्षित उर्दू कोटि में नियोजन किया गया है। सभी प्रशिक्षित अभ्यर्थियों का नियोजन जाली प्रमाण पत्र पर हुआ है। मेधा सूची को नजरअंदाज किया गया है। नियोजन में अभ्यर्थियों ने वीर बहादुर विश्वविद्यालय जौनपुर एवं उदयप्रताप सिंह कालेज वाराणसी के प्रशिक्षण प्रमाण पत्र को लगाया है। प्रमाण पत्र की जांच कराई गई तो जाली पाया गया है। प्रशिक्षित विकलांग शिक्षक का गलत विकलांगता प्रमाण पत्र दिया गया है। गया के सिविल सर्जन द्वारा प्रमाण पत्र निर्गत नहीं करने की बात कही गई है। बीडीओ एवं बीईओ ने नियोजन प्रक्रिया 22 जुलाई 2011 को बंद कर दी है फिर भी 25 जुलाई को नियोजन पत्र निर्गत किया गया है। बीईओ सुहद रंजन ओझा ने बताया कि नियोजन प्रक्रिया नियमानुसार निर्गत किया गया है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
अपने आस पास अधिसंख्य लोगों को यही कहते सुनता हूँ कि कहीं शिकायत करने से कुछ नहीं होता. गोह प्रखंड में शिक्षक नियुक्ति की स्थिति देखकर तो लगता था कि व्यवस्था नाम की कोई चीज है ही नहीं. अभ्यर्थी बगल के कंप्यूटर ऑपरेटर के पास जाते थे और मनमाना प्रमाण-पत्र, अंक-पत्र प्रिंट कर आवेदन कर देते थे. पदाधिकारी और संलग्न दलाल भी मस्त थे, एकमुश्त मोटी रकम मिल जा रही थी बिना हरे-फिटकिरी का. बाकी लोग माथा ठोक रहे थे कि क्या हो रहा है पर मैं जानता था सबकी नौकरी भी जाएगी और ये चालाक लोग जेल-यात्रा भी करेंगे, आज नहीं तो कल. गोह ही क्यों पूरे राज्य स्तर पर शिक्षक नियोजन में जाली प्रमाण-पत्रों और अंक-पत्रों का अम्बार लगा है. सही जाँच हो जाए तो पचास फीसदी फर्जी निकलेंगे. यह अलग बात है कि गोह प्रखंड में शत प्रतिशत फर्जी ही थे
ReplyDeletehttp://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_8674330.html
फर्जी निकला 38 शिक्षकों का प्रमाण पत्र
ReplyDeleteDec 25,
गोह (औरंगाबाद), निज प्रतिनिधि :
प्रखंड शिक्षक के पद पर वर्ष 2008, 2011 में नियोजित 38 शिक्षकों का नियोजन रद कर दिया है। जांच के दौरान इन शिक्षकों का प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया। बीईओ सुहद रंजन ओझा ने बताया कि डीईओ के आदेश पर नियोजन रद करते हुए मामले में प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई की जा रही है। बताया जाता है कि अपीलीय प्राधिकार ने अपने पत्रांक 759 दिनांक 6.5.11 के आदेश में बीडीओ व बीईओ को उक्त शिक्षकों को बहाल करने का आदेश दिया था। प्राधिकार के आदेश से पहले ही शिक्षकों का नियोजन बीडीओ ने पत्रांक 140 दिनांक 21.2.11 से कर दिया गया था। इब्राहिमपुर के राजेन्द्र यादव, डंड़वा के रामनिवास शर्मा ने मुख्यमंत्री के जनता दरबार में आवेदन देकर शिकायत की थी कि फर्जी प्रमाण पत्र पर शिक्षकों को नियुक्ति की गई है। प्रमाण पत्र फर्जी होने के बावजूद शिक्षक कार्य कर रहे हैं। बहाल शिक्षकों ने उदय प्रताप स्वाशासी महाविद्यालय वाराणसी के द्वारा निर्गत सुरेन्द्र कुमार सिन्हा, सुधीर कुमार सिन्हा, संजय कुमार सिन्हा, कमलेश कुमार एवं बबन कुमार का प्रशिक्षण प्रमाण पत्र को प्राचार्य डा. गुलाबचन्द्र सिंह ने फर्जी बताया हैं। डीईओ ने अपने ज्ञापांक 2167 दिनांक 19.11.11 में नियोजन को अवैध घोषित करते हुए कानूनी कार्रवाई करने का आदेश दिया है। बीईओ ने बताया कि नियोजन रद करते हुए सभी शिक्षकों पर प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।