इस ब्लॉग में औरंगाबाद(बिहार) से संबंधित वैसे खबरों को पोस्ट किया जाता है, जिसपर वरीय पदाधिकारियों का ध्यान आकर्षित कराना अत्यावश्यक लगे । इसके सेटिंग में मुख्य सचिव (बिहार), पुलिस महानिदेशक (बिहार), जिला पदाधिकारी (औरंगाबाद), पुलिस अधीक्षक (औरंगाबाद) तथा माननीय मुख्यमंत्री (बिहार) का इमेल आईडी फीड किया हुआ है, जिससे ब्लॉग पोस्ट की एक प्रति स्वतः उनके पास पहुँच जाती है । यह बिल्कुल से अखबारों में छपे मूल समाचार होते हैं और मेरा उद्देश्य इन खबरों को वरीय पदाधिकारियों तक पहुँचाना मात्र है ।
Friday, 10 August 2012
तो काली सड़क निगल जाती 16.55 करोड़
औरंगाबाद, जागरण संवाददाता : प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा जिले में सड़क निर्माण के लिए निकाली गयी निविदा सवालों के घेरे में हैं। 95 सड़कों के निर्माण के लिए निकाली गयी निविदा में पूर्व में बन चुकी नौ सड़कों को शामिल किया गया है। विभाग की इस कार्रवाई के बाद कयास लगाये जा रहे हैं कि सड़क के कालीकरण के नाम करोड़ों का वारा न्यारा हो सकता था। परंतु, बीच में ही मामला उजागर हो गया। अब विभाग 16 करोड़ 55 लाख का टेंडर रद्द करने की तैयारी में है। जिन नौ सड़कों के लिए दोबारा निविदा निकाली गयी है उनमें सदर प्रखंड के एनएच 98 से मंजुराही (1.12 करोड़), मदनपुर के जीटी रोड से मदनपुर (2.34 करोड़), जीटी रोड से गौरा (94 लाख), देव में देव बारा रोड से खैरा (1.70 करोड़), कुटुम्बा में रिसियप महाराजगंज रोड से कुटुम्बा (1.47 करोड़), एरका बुधुआ रोड से बलिया भाया जगई फाल (2.3 करोड़), सिमरा तेजपुरा से करमा बसंतपुर (2.55 करोड़), अम्बा नवीनगर रोड से सिमरी भाया सुही (2.66 करोड़), नवीनगर में तेन्दुआ से फूलडीहा (1.68 करोड़) की लागत से बनती। यह सबकुछ शायद ग्रास रूट पर कम और कागज पर ज्यादा होता। कुल मिलाकर इन नौ सड़कों पर 16 करोड़ 55 लाख खर्च किये जाने की योजना थी। ऐसा नहीं है कि यह विभाग की पहली चूक है इससे पहले भी इस तरह की गलती हो गयी है। विभाग के इस कारनामे को लेकर समाज के लोगों में यह चर्चा है कि क्या विभाग इसी तरह से सड़क बनाता रहेगा और सरकारी धन सड़क को काला करने में काला होता रहेगा।
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