इस ब्लॉग में औरंगाबाद(बिहार) से संबंधित वैसे खबरों को पोस्ट किया जाता है, जिसपर वरीय पदाधिकारियों का ध्यान आकर्षित कराना अत्यावश्यक लगे । इसके सेटिंग में मुख्य सचिव (बिहार), पुलिस महानिदेशक (बिहार), जिला पदाधिकारी (औरंगाबाद), पुलिस अधीक्षक (औरंगाबाद) तथा माननीय मुख्यमंत्री (बिहार) का इमेल आईडी फीड किया हुआ है, जिससे ब्लॉग पोस्ट की एक प्रति स्वतः उनके पास पहुँच जाती है । यह बिल्कुल से अखबारों में छपे मूल समाचार होते हैं और मेरा उद्देश्य इन खबरों को वरीय पदाधिकारियों तक पहुँचाना मात्र है ।
Sunday, 26 May 2013
मनरेगा में है मस्टर रौल एवं एमवी का खेल
जागरण प्रतिनिधि, दाउदनगर (औरंगाबाद) : मनरेगा में एमवी से अधिक राशि मस्टर रौल में दर्शायी जा रही है। खेल जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के दबाव में होता है और भुगतना सिर्फ पंचायत रोजगार सेवकों को करना पड़ता है। यह बात कनाप पंचायत के दो योजनाओं से संबंधित मजदूरों द्वारा की गई शिकायत के बाद दस्तावेजी सबूतों से सामने आई है। आरोपी पीआरएस अमित कुमार ने जागरण को तमाम दस्तावेज दिखाए। मजदूरों ने आरोप लगाया था कि उन्हें काफी दिनों की मजदूरी नहीं दी गई जबकि उपेन्द्र राम ने 35 दिन की हाजिरी बनाया और 32 दिन का भुगतान पाया है। नंद किशोर पासवान को 33 दिन का और संजय पासवान को 34 के विरुद्ध 30 दिन का भुगतान हुआ। कई मजदूरों को नगदी भी राशि दी गई है। पीआरएस का कहना है कि प्रावधान के अनुसार सिर्फ हाजिरी बना देने भर से पैसे नहीं मिलते। एक दिन में अस्सी सीएफटी मिट्टी काटना भी जरूरी है। जितना एमवी बुक होगा उसी हिसाब से भुगतान करना है लेकिन यहां एमवी से अधिक राशि मस्टर रौल में दर्शायी गई है। चौंकाने वाली बात यह है कि कि रतनपुर में रामविलास शर्मा के घर से महुआ तक आहर उड़ाही का काम पूरा भी नहीं हुआ और प्राक्कलन राशि से अधिक मजदूरी भुगतान में खर्च हो गया। उपेन्द्र राम इस योजना के मेठ थे। इनकी पत्नी लालमुनि देवी वार्ड सदस्या भी है और इस योजना में उन्होंने 35 दिन की हाजिरी बनवाया। 14 दिन का भुगतान भी कर दिया गया। यह मस्टर राल उपेन्द्र राम ने तैयार किया है। जब मजदूरी का भुगतान किया गया तो मजदूरों ने आपत्ति जताई कि जब लालमुनि ने काम किया ही नहीं तो उन्हें भुगतान क्यों किया गया। जांच में यह सत्य पाया गया तो भुगतान रोक दिया गया। इसी तरह ईट सोलिंग की योजना में 69 हजार 387 रुपये का एमवी बुक हुआ और मजदूरों को 67 हजार 800 भुगतान कर दिए गए जबकि मस्टर रौल 90 हजार 40 रुपये का दिया गया है। पीआरएस का कहना है कि प्रावधान के अनुसार तय 80 सीएफटी मिट्टी काटने पर ही भुगतान संभव है। मुझे घर से पैसा नहीं देना है कि मैं अनावश्यक कटौती करुंगा। कहा कि स्थानांतरण के बाद एक साल पुरानी योजना पर सवाल उठाया जा रहा है। यह दबाव डालने की राजनीति है।
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